प्रथम सत्र: रात ७.३० से ८.१० बजे तक (PPT द्वारा प्रस्तुति)
द्वितीय सत्र: रात ८.१५ से ८.५५ बजे तक (PPT द्वारा प्रस्तुति)
तृतीय सत्र: रात ९.०० से ९.३० बजे तक (प्रश्नोत्तर एवं चर्चा)
- अवधारणा: वेदों के पारंपरिक ज्ञान और प्रथाओं पर आधारित एक समग्र कृषि प्रणाली है। इसका उद्देश्य प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करके एक स्थायी और आत्मनिर्भर कृषि प्रणाली का निर्माण करना है।
- सिद्धांत: अहिंसा, यज्ञ, धर्म और कर्म जैसे सिद्धांतों पर आधारित वैदिक कृषि, एक स्थायी और सामंजस्यपूर्ण कृषि प्रणाली का समर्थन करती है।
- नियम: वैदिक कृषि में, खेती को एक धार्मिक क्रिया माना जाता है, जिसमें सभी जीवों की भलाई के लिए बलिदान शामिल है।
- पद्धति: एक स्थायी और समग्र कृषि दृष्टिकोण है जो प्रकृति और आध्यात्मिक सिद्धांतों के साथ सामंजस्य पर जोर देती है